ब्रह्मानावी नमाइश (जौनसारी रचना) कविता

ब्रह्मानावी नमाइश (जौनसारी रचना)
रचनाकार अर्जुन दत्त शर्मा (थणता)

१- चालदा महासू वापुडिया, तेरी सदा जे-जेकार।
तेरे आशीर्वाद लेणोंक दैवा, आईए बाऊर जौनसार।।

२- नमाइश जबी सुरु करी, त टूटींना कदी चाल।
अंईशू खेलदै-खैलावंदू, पूरी हई पच्चीश साल।।

३-ऐई जागा ब्रह्मानाव ती, पर बाणी करो संअ थात।
उटैल गाँव मिसाल बणों, ऐई है एकता की बात।।

४- सिल्वर जुबली लग धारा काटी, बाणों खेल मैदान।
जतींक आवली गोल्डन जुबली, ततीक बणदो और आलीशान।।

५-एकी गाँव की छोटी कमेटी, पर एकता बेमिसाल।
फालटू देखावा कुणी ना करी, ऐजै गुदड़ी के लाल।।

६-बदली-बदली की अध्यक्ष बाणों, दैवों सबुक मोका।
जाणकार की कमी ना आति, एकी की आगड़ा ओका।।

७- सहयोगी काम करनक इनुकै, बाठोडे भी सब जवान।
भांव पूरण सिंह जी देखो, भांव देखो भाई सुल्तान।।

८- आच्छो गाँव उशियार ऐला भी, असं गांवदी मैल।
आकाशवाणी का पुराणा गीतारी, भाई प्रताप सिंह जी उटैल।।

९- अध्यक्ष स्वराज चौहान जी, राखों रंगरोटु का भी खियाल।
एतुसे पोइले अध्यक्ष ता, कर्मठ भाई संसार।।

१०-चोगिरंदै जाउँदै गाँव एवंडे, करं सबुका मान सम्मान।
उटैल के सब सहयोगीअ, खत पंजगाँव और शीली गौथान।।

११-कबडिया कै शौकिन बोउते, दिग्पाल, दिगम्बर, राजू फौजी।
टीमा बाणनों के खातर लेंओ, सचिन यशपाल खोजी।।

१२- एम्पायर लेओं जाणकार तुमें, जो नियम जाणों सारै।
ईमानदारी का निर्णय देओं, खिलाड़िऊं के भी सेव प्यारे।।

१३-आच्छी-आच्छी टीमा बोईदों, गढ़वाल, हिमाचल दुरीं।
जै-जैकारी उटैल वाणीयो, जो एउद्दी व्यवस्था कोरी पूरी।।

श्री मान अर्जुन दत्त शर्मा (गाँव थणता खत बोंदुर) जी चौहान क्लब उटैल आपका आभार व्यक्त करता है और आपके मंगल भविष्य की महासु महाराज से प्रार्थना करता है।

धन्यवाद 
समस्त उटैल ग्रामीण
एवं समिती सदस्य

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